मखमली खरगोश हिंदी में। पढ़िए द वेलवेटीन रैबिट हिंदी में।
Velveteen Rabbit in Hindi || Full Story Velveteen Rabbit in Hindi
एक मखमल का बना खरगोश था, शुरुआत में वह बहुत ही शानदार था। वह मोटा, गोल मटोल, गुदगुदा सा था, जैसे एक खरगोश को होना चाहिए। उसकी चमड़ी भूरी और सफेद थी उसकी धागे से बनी मूछें थी और उसके कानों में गुलाबी फीते से बनी लकीरे थी। यह मखमली खरगोश क्रिसमस की सुबह एक लड़के के उपहारों के ढेर पर पड़ा था, पंजों में सदाबहार पेड़ की एक टहनी दबाए वह बहुत खूबसूरत लग रहा था।
मोजे़ में बंधे उपहारों के ढेर में और भी दूसरे खिलौने थे जैसे मूंगफली और संतरे, और एक खिलौना गाड़ी, और बादाम वाली चॉकलेट, और एक चाबी वाला चूहा लेकिन उन खिलौनों में खरगोश सबसे अच्छा था। लड़का करीब 2 घंटे तक उस मखमली खरगोश के साथ खेलता रहा, उसके बाद उसके चाचा चाची वहां रात के खाने के लिए आ गए, और अपने साथ खूब सारे तोहफे लेकर आए। एक-एक करके उन तोहफों को खोलने के उत्साह में बच्चा मखमली खरगोश को भूल गया।
बहुत दिनों तक वह मखमली खरगोश खिलौनों की अलमारी में पढ़ा रहा, या कभी वह जमीन पर पड़ा रहता। कोई भी उस खिलौने के बारे में ज्यादा नहीं सोच रहा था। वह मखमल का बना हुआ था और दूसरे खिलौने जो महंगे और उससे बेहतर थे, उसे झिड़क देते थे। उनमें से कुछ मशीनी खिलौने हैं, जो इन खिलौनों में बेहतर है, और यह आधुनिक खिलौने अन्य खिलौनों को हीन भावना से देखते हैं, ये मशीनी खिलौने आधुनिकता से भरे हैं, और ऐसा दिखाते हैं कि मानो ये असलियत में जिंदा हो। इन खिलौनों में एक नाव थी, जो करीब 2 सालों से लड़के के पास थी। उसका ज्यादातर रंग छूट चुका था लेकिन फिर भी वह कोई मौका नहीं चूकती थी, तकनीकी शब्दों का इस्तेमाल करके, अपनी रस्सी के बारे में डींगे हांकने का। इन सभी में खरगोश यह दावा नहीं कर सकता था कि वह आधुनिक है या जीवित है, क्योंकि वह यह जानता ही नहीं था कि सच में भी खरगोश होते हैं। उसे लगता था कि सारे खिलौने उसी की तरह रूई या बुरादे के ही बने होते हैं। यहां तक कि टिमोथी नाम का लकड़ी का शेर, जिसे एक अपंग सिपाही ने बनाया था वह भी इस तरह से व्यवहार करता था मानो की उसका सरकार से कोई नाता हो। इन सभी खिलौनों के बीच नन्हा खरगोश अपने आप को बहुत ही साधारण समझता था। इन खिलौनों में सिर्फ एक खिलौना ऐसा था जो मखमली खरगोश के प्रति दया रखता था, और वह था एक घोड़ा, जिसका नाम था स्किन हॉर्स।
बाकी दूसरे खिलौनों में स्किन हॉर्स ने इस जगह पर ज्यादा समय बिताया था। वह इतना बूढ़ा था, की उसके कत्थई कोट में पैबंद लगे थे, और उसकी पूंछ के बालों का गुच्छा खत्म हो गया था। वह बहुत समझदार था और उसने इस घर में इन मशीनी खिलौनों से पहले आए मशीनी खिलौनों को भी देखा था, वह जानता था कि ये सिर्फ खिलौने हैं, और एक दिन जब इनकी मशीन खराब हो जाएगी तो ये खत्म हो जाएंगे।
एक दिन जब मखमली खरगोश और स्किन हॉर्स बराबर बराबर में लेटे हुए थे तो खरगोश ने पूछा, "जीवित होना क्या होता है? जिंदा होना क्या होता है? जब खिलौनों के अंदर लाइट जलती है, वह जिंदाहोना है, या जब खिलौने के बाहर चाबी भरने वाला हैंडल होता है उसे सजीव होना कहते हैं?"
स्किन हॉर्स कहता है कि सजीव होने का मतलब यह नहीं है कि तुम्हें किस तरह से बनाया गया है। सजीव या ज़िंदा होने का मतलब इस बात से है कि तुम्हारे साथ क्या होता है। जब एक बच्चा तुमसे प्यार करता है, बहुत ज्यादा प्यार करता है, तुम्हारे साथ सिर्फ खेलता नहीं, तब तुम खुद ब खुद सजीव या ज़िंदा हो जाते हो।
खरगोश पूछता है," क्या सजीव बनने में तकलीफ होती है?" स्किन हॉर्स जवाब देता है," कभी-कभी, लेकिन जब आप ज़िंदा होते हैं तो आपको तकलीफ सहन करने में कोई परेशानी नहीं होती।"
खरगोश पूछता है, "क्या यह सब अचानक हो जाता है या धीरे-धीरे होता है?"
स्किन हॉर्स कहता है, "यह अचानक नहीं होता, इसीलिए वो खिलौना कभी सजीव नहीं बनता जो आसानी से टूट जाता है, या जिसके किनारे नुकीले होते हैं, या जिन्हें बहुत सावधानी से रखना पड़ता है। जब तुम जीवित बनोगे तब तुम्हारे बाल दुलार से गिर चुके होंगे, तुम्हारी आंखें बाहर आ चुकी होंगी, और तुम्हारे जोड़ ढीले पड़ चुके होंगे, लेकिन इन सब बातों का कोई मतलब नहीं क्योंकि जब तुम जीवित बन जाते हो तब तुम बदसूरत नहीं रहते।
खरगोश ने कहा, "मुझे लगता है कि तुम ज़िंदा हो।" यह कहने के बाद खरगोश को लगता है कि उसे यह नहीं कहना चाहिए था। शायद स्किन हॉर्स संवेदनशील है, और उसे बुरा लग सकता है। लेकिन स्किन हॉर्स सिर्फ मुस्कुराता है।
स्किन हॉर्स जवाब देता है, "लड़के के चाचा ने मुझे सजीव बनाया था। यह बहुत पहले की बात है लेकिन जब आप एक बार सजीव बन जाते हो तो आप दोबारा निर्जीव नहीं बन सकते।"
खरगोश लंबी सांस लेता है। वह सोचता है कि अभी तो उस जादू में बहुत समय लगेगा जिस जादू से वह सजीव बनेगा या ज़िंदा हो जाएगा। उसने सजीव बनने के लिए बहुत इंतजार किया, और वह यह महसूस करना चाहता था कि सजीव होना कैसा होता है, लेकिन फिर भी मेला कुचैला हो जाने, आंखें खो देने, और मुंछे खो देने का डर, उसे दुखी कर रहा था। खरगोश ये आशा करता है कि काश वह बिना इन सभी चीजों के हुए सजीव बन जाए।
"नाना" नाम की एक महिला उस खिलौनों के गलियारे की देखभाल करती थी। कभी-कभी तो नाना जमीन पर पड़े खिलौनों पर ध्यान ही नहीं देती, और कभी कभी बिना वजह हीं, तूफान की तरह सारे खिलौनों को इकट्ठा कर अलमारी में भर देती थी। अलमारी में खिलौनों को ठूंस देने को ही वह "सफाई" कहती है। सभी खिलौनों को यह बात पसंद नहीं थी, खासतौर से वे खिलौने जो टिन के बने थे। मखमली खरगोश को इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ता था, क्योंकि वह मुलायम था उसे जहां कहीं भी फेंका जाए वह बिना चोट खाए, गिर जाता था।
एक शाम जब लड़का सोने जा रहा था, तो उसे अपना एक चीनी कुत्ता नहीं मिला। वह इसी खिलौनों के साथ रोजाना सोता था। नींद के समय नाना इस चीनी कुत्ते को ढूंढने में ज्यादा समय बर्बाद नहीं करना चाहती थी, उसने सरसरी निगाह मारी और देखा कि खिलौनों की अलमारी का दरवाजा अभी भी खुला था। उसने जल्दी से सभी खिलौनों को ठूंसा और अलमारी बंद कर दी।
उसने खरगोश का एक कान पकड़ कर उसे बाहर निकाला और लड़के के हाथों में थमाते हुए बोली, "लो, यह रहा तुम्हारा पुराना खरगोश, यह तुम्हारे साथ सोएगा।"
उस रात और उसके बाद कई रात, वह मखमली खरगोश लड़के के बिस्तर पर सोया। शुरुआत में उसे यह अजीब लगा क्योंकि लड़का कभी तो उसे बहुत तेज़ गले लगा लेता, और कभी अपने नीचे दबा देता, या कभी तो वह अपने तकिए के नीचे खरगोश को इतनी अंदर तक ले जाता, कि खरगोश सांस भी नहीं ले पाता था। इसके साथ-साथ खरगोश गलियारे में रात का वह समय याद करता था, जब वह स्किन हॉर्स के साथ घंटों बतियाता था। लेकिन जल्द ही उसे यहां लड़के के साथ बिस्तर पर सोना पसंद आने लगा, क्योंकि लड़का भी उससे बात करता था, और वह बिस्तर की चादर के नीचे उसके लिए सुरंगे बनाता था और कहता था कि ये वही मांद है जहां असली खरगोश रहते हैं। वे दोनों साथ अच्छे खेल खेला करते थे। जब नाना कमरे की लाइट बंद करके चली जाती थी, तो मखमली खरगोश लड़के की ठोढ़ी के नीचे सरक जाता था, और लड़का भी अपने हाथों से खरगोश को अपने सीने से लगा लेता था।
समय बीतता गया, खरगोश बहुत खुश था, वह इतना खुश था कि उसने यह ध्यान ही नहीं दिया कि अब वह कितना मटमैला हो चुका था, उसकी पूंछ फट चुकी थी, और लड़के के चूमने की वजह से उसकी नाक का गुलाबी रंग भी फीका पड़ चुका है।
बसंत आया, वे दोनों अपना पूरा दिन बगीचे में बिताते थे। जहां लड़का जाता, वहीं खरगोश भी जाता था। लड़का खरगोश को एक पहिए वाली ठेला गाड़ी में घूमाता, उसे घास पर पिकनिक के लिए लेकर जाता, और लड़के ने उसके लिए रसभरी की झाड़ियों के नीचे और फूलों के गुच्छों के पीछे प्यारी सी, छोटी सी झोपड़ी भी बनाई। एकदम लड़के को चाय पीने के लिए आवाज लगाई गई, और वह मखमली खरगोश को वहीं बगीचे में छोड़कर अंदर चला गया। रात को नाना मोमबत्ती लेकर मखमली खरगोश को ढूंढने बगीचे में आई, क्योंकि लड़का खरगोश के बिना सोने को तैयार नहीं था। खरगोश ओस की वजह से गीला हो गया था, और मिट्टी में गंदा भी हो गया था। नाना ने अपने एप्रन (पेटबंद) के कोने से खरगोश को साफ किया।
वह कहती है, "तुम्हें अपने खरगोश का ध्यान रखना चाहिए। यह लापरवाही खिलौनों के लिए अच्छी नहीं होती।
लड़का अपने बिस्तर पर बैठा था उसने अपना हाथ आगे बढ़ाया।
उसने कहा, "मुझे मेरा खरगोश दो। तुम्हें ऐसा नहीं कहना चाहिए। यह खिलौना नहीं है, यह जिंदा है, यह असली है।"
जब मखमली खरगोश ने यह सुना तो उसे बहुत खुशी हुई। उसने सोचा कि जो स्किन हॉर्स ने कहा था, वह सच था। आखिर उसके साथ भी जादू हो ही गया। अब वह खिलौना नहीं रहा, वह सजीव हो गया है। लड़के ने खुद यह बात कही है।
उस रात खरगोश इतना खुश था कि सो नहीं सका। बुरादे से बने उसके दिल में इतना प्यार भर गया था मानो कि उसका दिल फट पड़ेगा। बटन से बनी उसकी आंख जिसकी रंगत बहुत पहले उड़ चुकी थी, उन आंखों में भी एक खूबसूरती और बुद्धिमता की चमक दिख रही थी। उसकी आंखों की चमक को अगली सुबह नाना ने भी महसूस किया था। उसने कहा था, "मुझे नहीं पता था कि इस पुराने खरगोश की आंखों में इतने भाव हैं।"
गर्मियों का मौसम था। घर के पास जहां पर वे रहते थे, एक जंगल था। जून महीने की लंबी शामों में लड़का चाय के बाद वहां खेलने जाया करता था। वह मखमली खरगोश को भी अपने साथ लेकर जाता था। फूल चुगने से पहले, और पेड़ों के बीच चोर-सिपाही खेलने से पहले, लड़का खरगोश के लिए एक आरामदायक घोंसला बना देता था। एक शाम जब खरगोश वहां अकेला लेटा था और अपने पंजों के बीच में से चीटियों को गुजरते हुए देख रहा था, तो उसने वहां दो विचित्र जानवर उसकी तरफ आते देखें।
वे उसी के जैसे खरगोश थे, बिल्कुल नए और ज्यादा मखमली खाल वाले। उन्हें बहुत अच्छे से बनाया गया था, इतने अच्छे से कि उनकी सिलाई भी नहीं दिख रही थी। वे जब भी हिलते-डुलते अपना आकार बदल लेते। कभी वह लंबे और पतले लगते, तो कभी वह मोटे और गोल मटोल नजर आते। वे हमेशा एक जैसे नहीं रहते, जैसे मखमली खरगोश हमेशा एक सा रहता था। उनके पांव जमीन पर आराम से पढ़ते थे। वे धीरे-धीरे उसकी तरफ बढ़े। मखमली खरगोश ध्यान से उन दोनों को देखने लगा, उसे महसूस हुआ ये कुछ अलग तरह के खरगोश है।
वे दोनों खरगोश मखमली खरगोश को निहारने लगे। मखमली खरगोश भी उन्हें निहार रहा था।
उनमें से से एक ने कहा, "तुम उठ क्यों नहीं जाते और हमारे साथ क्यों नहीं खेलते?"
मखमली खरगोश ने कहा, "नहीं मेरे से ऐसा नहीं हो पाएगा।" दरअसल वह ये नहीं बताना चाहता था कि उसके अंदर चाबी नहीं भरी जा सकती, जैसे इन दोनों के अंदर भरी जा सकती थी। मखमली खरगोश समझ रहा था कि ये इतने अच्छे खिलौने हैं, कि इनके अंदर चाबी भरी जा सकती है लेकिन उसके अंदर चाबी भरने वाली मशीन लगी ही नहीं है।
बालों वाले खरगोश ने कहा, "ये तो बहुत आसान है।" और उसने एक-दो छलांग मारकर, मखमली खरगोश को अपने पिछले पैरों पर खड़े होकर दिखाया। उसने मखमली खरगोश से कहा, "मुझे नहीं लगता तुम यह कर पाओगे।"
मखमली खरगोश ने कहा, "मैं कर सकता हूं। मैं किसी भी चीज से ज्यादा ऊंची छलांग लगा सकता हूं।" दरअसल उसका मतलब उस बात से था कि लड़का उसे कहीं भी उछाल देता था, लेकिन वह असली खरगोशों के सामने यह नहीं कहना चाहता था।
बालों वाले जंगली खरगोश ने पूछा, "क्या तुम अपनी पिछली टांगों पर खड़े हो सकते हो?"
यह बहुत ही शर्मनाक सवाल था, क्योंकि मखमली खरगोश की पिछली टांगे थी ही नहीं, उसे तो एक तकिए की तरह, एक टुकड़े में बनाया गया था। वह अभी भी अपने घोसले में बैठा था जिसे लड़के ने बनाया था। मखमली खरगोश आशा करता है कि इन खरगोशों का ध्यान उसकी पिछली टांगों पर ना जाए।
लेकिन इन जंगली खरगोशों की निगाह बहुत तेज थी। वे देख लेते हैं कि मखमली खरगोश की पिछली टांगे नहीं है। वे उसका मजाक उड़ाते हुए कहते हैं, "देखो इसकी तो पिछली टांगे है ही नहीं। यह कैसा अजीब सा खरगोश है।" मखमली खरगोश रोते हुए कहता है, "नहीं मेरे पास पिछली टांगे हैं, मैं उन्हीं पर तो बैठा हूं।"
जंगली खरगोश मखमली खरगोश से कहता है, "अच्छा तो फिर बाहर आओ और ये करके तो दिखाओ।" और वे उसके चारों तरफ नाचने लगते हैं।
मखमली खरगोश बोलता है, "मुझे नाचना पसंद नहीं। मैं बैठा ही रहूंगा।"
लेकिन उन्हें नाचता देखकर, मखमली खरगोश के मन में यह ख्याल आया कि वह कुछ भी करने को तैयार है, बस वह इन जंगली खरगोशों की तरह उछलना कूदना चाहता है।
वे जंगली खरगोश नाचना बंद कर देते हैं और मखमली खरगोश के पास आकर उसे सुंघते हैं। उनमें से एक कहता है, "इसकी गंध कुछ सही नहीं लग रही। यह खरगोश नहीं है, यह जिंदा नहीं है। यह असली खरगोश नहीं है।"
मखमली खरगोश ने कहा, "मैं असली हूं। मैं असली हूं। लड़के ने ऐसा कहा था।" वह रोने ही वाला था।
तभी कदमों की आवाज आई और लड़का वहां से गुजरा। लड़के को देखकर वे जंगली खरगोश वहां से भाग निकले।
मखमली खरगोश चिल्लाया, "वापस आओ और मेरे साथ खेलो। मुझे पता है कि मैं असली हूं।"
लेकिन कोई जवाब नहीं आया। उसे बस झाड़ियां हिलती हुई दिखाई दी जहां से वे जंगली खरगोश भागे थे।
उसने सोचा, "वे रूके क्यों नहीं। वे भाग क्यों गए और वे वापस मेरे से बात करने क्यों नहीं आए?"
मखमली खरगोश बहुत देर तक ऐसे ही बैठा रहा। सूरज डूब गया, और लड़का उसे वापस घर ले गया।
हफ्तो बीत गए। मखमली खरगोश बहुत बूढ़ा और मटमैला हो गया था, लेकिन लड़का उससे अब भी बहुत प्यार करता था। लड़का उससे इतना प्यार करता था कि उसने उसकी सारी मुछें उखाड़ ली थी, उसके कानों पर बनी गुलाबी धारियां अब सफेद हो गई थी, और उसके भूरे धब्बे भी अब फीके पड़ गए थे। मखमली खरगोश अपना आकार भी खो चुका था। अब वह खरगोश जैसा लगता ही नहीं था, लेकिन लड़के को अभी भी वह खरगोश ही लगता था, और यही मखमली खरगोश चाहता भी था। उसे फर्क नहीं पड़ता था कि दूसरे लोगों को वह कैसा दिखता है। अब तो वैसे भी वह असली और जिंदा हो गया है, और जब कोई खिलौना असली हो जाता है, तो यह चीज मतलब नहीं रखती कि वह खिलौना कैसा दिखता है।
उसके बाद, एक दिन लड़का बीमार पड़ गया। उसका चेहरा फीका पड़ गया था। वह रातों को नींद में बातें करता था। उस लड़के का छोटा सा शरीर इतना गर्म हो जाता कि मखमली खरगोश जब उससे लिपट कर लेटता, तो वह भी झुलस जाता। कुछ लोग कमरे में आते और चले जाते। मखमली खरगोश चुपचाप चादर के नीचे छुप कर बैठा रहता, क्योंकि उसे डर था कि कहीं कोई और उसे ना देख ले और अपने साथ ना ले जाए। मखमली खरगोश जानता था कि लड़के को उसकी जरूरत है।
यह बहुत ही उबाऊ समय था। लड़का इतना बीमार था कि खेल नहीं सकता था। मखमली खरगोश भी पूरे दिन ऐसे ही बैठा रहता, लेकिन उसने अपना सब्र नहीं खोया था। मखमली खरगोश वह समय याद करता जब लड़का ठीक हो जाएगा, और वे दोनों दोबारा खेलेंगे। जो कोई भी योजना मखमली खरगोश बनाता, वह लड़के के कान में जाकर सुना देता। आखिरकार बुखार उतरा और लड़का ठीक हो गया। लड़का अब अपने बिस्तर पर बैठ सकता था और अपनी किताबें पढ़ सकता था। वही मखमली खरगोश उस से चिपक कर बैठा रहता, और आखिर एक दिन लड़के को नए कपड़े पहनाए गए।
यह एक खिलखिलाती धूप का दिन था। खिड़कियां खुली हुई थी। देखभाल करने वाले लड़के को बालकनी तक बाहर लाए। उसे शॉल में लपेटा हुआ था। मखमली खरगोश वहीं चादर पर पड़ा हुआ ये सब देख रहा था।
लड़का अगले दिन समुंदर किनारे जा रहा था। सारी तैयारियां पूरी थी, सिर्फ डॉक्टरों के आदेश का इंतजार था। मखमली खरगोश अभी भी चादर के नीचे लेटा हुआ था, और वह लोगों को बातें करते हुए सुन रहा था। लड़के के कमरे को साफ किया जाना था। उन सभी किताबों और खिलौनों को जलाया जाना है जिनके साथ लड़का पिछले दिनों खेला था।
मखमली खरगोश ने सोचा, "अरे वाह! हम समुंदर किनारे जाएंगे।" लड़का हमेशा समुंदर किनारे जाने की बातें करता था। वह बड़ी-बड़ी आती हुई लहरें, छोटे-छोटे केकड़े और रेत के महल देखना चाहता था।
तभी उसे नाना आती हुई दिखाई दी। उसने पूछा, "इस पुराने खरगोश का क्या करूं?" डॉक्टर ने कहा, "इसका? इसके अंदर तो बुखार के बहुत सारे जीवाणु होते हैं, इसे तुरंत जला दो। यह क्या बला है! इसको एक नया खरगोश दिलाओ। लड़के के पास यह नहीं होना चाहिए।"
मखमली खरगोश को पुरानी किताबों और दूसरे सामान के साथ कबाड़ में रख दिया गया, और उसे चिड़ियों के लिए बनाए गए घर के पास छोड़ दिया। वह आग जलाने के लिए बेहतरीन जगह थी, लेकिन माली उस दिन बहुत व्यस्त था। उसे आलू उगाने थे और हरे मटर इकट्ठे करने थे। उसने वादा किया कि वह अगली सुबह इन सभी चीजों को जला देगा।
उस रात लड़के को अलग कमरे में सुलाया गया। उसके पास एक नया खरगोश था। यह नया खरगोश बहुत शानदार था, वह बिल्कुल सफेद था और उसकी कांच की बनी आंखें थीं। लड़का उसकी देखभाल करने के लिए बहुत उत्सुक था। लड़के को कल समुंदर किनारे भी जाना था, वह इसी ख्याल में मग्न था और किसी दूसरी चीज के बारे में नहीं सोच रहा था।
एक तरफ तो लड़का नींद में समुंदर किनारे के सपने देख रहा था, वहीं दूसरी तरफ मखमली खरगोश किताबों के बीच अपने आप को बड़ा अकेला महसूस कर रहा था। कबाड़ को बांधकर नहीं रखा गया था, इसलिए मखमली खरगोश ने अपना सिर बाहर निकाला और बाहर देखा। वह थोड़ा कंपकंपा रहा था क्योंकि उसे एक गर्म बिस्तर पर सोने की आदत थी, और इस वक्त उसने एक पतला सा कोट पहना हुआ था। वह अपने चारों तरफ रसभरी की झाड़ियां देखता है, जहां वह लड़के के साथ खेला करता था। उसे वह समय याद आने लगा जो वह लड़के के साथ इस बगीचे में बिताता था। मखमली खरगोश थोड़ा दुखी हो गया। तभी उसे स्किन हॉर्स का ख्याल आया, वह कितना समझदार था और उसने किस तरह उसे सब कुछ समझाया था। मखमली खरगोश सोचता है कि अपनी खूबसूरती खोकर और जिंदा या सजीव हो जाने पर, इस तरह से अंत हो, तो इन सब का क्या मतलब है? और इतने में एक आंसू उसकी मटमैली, मखमली नाक से होता हुआ नीचे जमीन पर गिर पड़ा।
तभी एक अजीब चीज हुई। जहां खरगोश का आंसू गिरा, ठीक उसी जगह एक फूल जमीन में उग गया, एक रहस्यमय फूल। उसके जैसा पूरे बगीचे में कोई दूसरा फूल नहीं था। उस फूल की पतली हरी पत्तियां थी, और उनके बीचों-बीच सुनहरी कप जैसा आकार था। वह फूल इतना खूबसूरत था कि मखमली खरगोश रोना भूल गया, और उसे देखने लगा। फूल खिला और उसके अंदर से एक परी बाहर निकली।
वह पूरे संसार की सबसे खूबसूरत परी थी। उसने मोतियों और ओस की बूंदों की पोशाक पहनी हुई थी। उसके गले और बालों में फूलों की माला थी। परी आगे बढ़ी और मखमली खरगोश को अपनी बाहों में ले लिया और उसकी मखमली नाक पर चुंबन किया।
उसने कहा, "मखमली खरगोश! क्या तुम जानते हो मैं कौन हूं?"
खरगोश ने उसकी तरफ देखा और उसे लगा कि उसने परी को पहले कहीं देखा है। लेकिन कहां यह उसे याद नहीं।
परी ने कहा, "मैं जादुई परी हूं। मैं उन खिलौनों का ध्यान रखती हूं जिन्हें बच्चे पसंद करते हैं। जब खिलौने बूढ़े हो जाते हैं और टूट जाते हैं, और बच्चों को उनकी जरूरत नहीं रहती, तो मैं आती हूं, और उन खिलौनों को अपने साथ ले जाती हूं, और उन खिलौनों को जिंदा कर देती हूं यानि उन्हें सजीव में बदल देती हूं।
मखमली खरगोश ने पूछा, "क्या मैं पहले जिंदा नहीं था?"
परी ने कहा, "तुम पहले जिंदा थे, लेकिन लड़के के लिए क्योंकि वह तुमसे प्यार करता था। अब तुम सभी के लिए जिंदा रहोगे।"
उसने मखमली खरगोश को उठाया, अपनी बाहों में भरा, और उसे उड़ा कर अपने साथ जंगल ले गई।
चारों तरफ चांद की रोशनी थी, सारा जंगल बहुत खूबसूरत लग रहा था। जंगली खरगोश पेड़ों के तनों के बीच नाच रहे थे। लेकिन जैसे ही उन्होंने परी को देखा, उन्होंने नाचना बंद कर दिया, और एक घेरा बनाकर खड़े हो गए, और परी को निहारने लगे।
परी ने जंगली खरगोशों से कहा, "मैं तुम्हारे लिए एक नया साथी लाई हूं। तुम्हें इसके प्रति बहुत दयालु रहना है, और इसे वो हर चीज सिखानी है, जो खरगोशों की इस दुनिया में, एक खरगोश को आनी चाहिए, क्योंकि अब से यह हमेशा हमेशा के लिए तुम्हारे साथ रहेगा।
परी ने दोबारा मखमली खरगोश को चूमा और उसे घास पर रख दिया, और कहा, "भागो और खेलो, प्यारे मखमली खरगोश।"
मखमली खरगोश थोड़ी देर के लिए सहमा सा बैठा रहा, क्योंकि उसे लग रहा था कि वह दोबारा से शर्मिंदगी नहीं उठाना चाहता। क्योंकि उसकी पिछले टांगे नहीं थी, उसे यह नहीं पता था कि परी ने उसको चुमकर उसे एक असली खरगोश में बदल दिया है। जैसे ही उसने अपनी पिछली टांगे उठाने के बारे में सोचा, तो उसने पाया कि वाकई में वह पिछल टांगे उठा पा रहा है। उसे एहसास हो गया कि उसको पिछली टांगे मिल गई हैं। वह बहुत खुश हुआ। वह इधर-उधर कूदने लगा, उसने ऊंची ऊंची छलांग मारी, और घास पर लोटने लगा। अब उसके कान बड़े और बेहतर थे। अब वह कपड़े का नहीं बना था, अब उसके पास भूरे रंग की खाल थी। उसकी मूछें अब धागे की नहीं, असली थी, जो इतनी बड़ी थी कि जब वह घास पर बैठता तो उसकी मुछें घास को छू जाती। वह बहुत खुश था, वह एक बार फिर परी को देखने के लिए मुड़ा लेकिन परी जा चुकी थी।
आखिरकार वह एक असली खरगोश बन गया, और वह दूसरे खरगोशों के साथ अपने घर था।
पतझड़ और ठंड का मौसम बीत गया, और उसके बाद बसंत भी बीत गई। जब दिन गर्म होने लगे तो लड़का फिर से अपने घर के पीछे जंगल में खेलने के लिए आया। जब वह खेल रहा था, तो दो खरगोश अचानक से उसके सामने आए। उनमें से एक का रंग बिल्कुल भूरा था, लेकिन दूसरे खरगोश की खाल पर धब्बे थे, और उसकी छोटी सी मुलायम नाक थी, और उसकी आंखें काली और बिल्कुल गोल थी। ये सभी चीजें लड़के के लिए जानी पहचानी थी। उसने अपने आप से कहा, "यह खरगोश मेरे पुराने मखमली खरगोश के जैसा क्यों लग रहा है? जब मुझे बुखार हुआ था तो वह खो गया था।"
लेकिन उसे इस चीज का एहसास नहीं था, कि यह उसका वही पुराना मखमली खरगोश है, जो उससे दोबारा मिलने आया है। और लड़के ने ही उसको एक असली खरगोश बनने में मदद की है।
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